अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस : चेसबेस इंडिया और IIMUN का साझा प्रयास
चेसबेस इंडिया भारत और विश्व में हो रही लगभग सभी छोटी-बड़ी शतरंज की प्रतियोगिताओं पर अपनी पैनी नज़र बनाए रखता है और इसके साथ ही वह अपने दर्शकों, पाठकों, सभी शतरंज प्रेमियों और खिलाड़ियों के लिए पल-पल की ख़बरें, ज्ञानवर्धक लेख, मज़ेदार वीडियो, लाइव स्ट्रीम्स और अपने सभी सामाजिक मीडिया मंचों के माध्यम से शतरंज का विस्तार करता है। इसी कड़ी में इस वर्ष आगे बढ़ते हुए चेसबेस इंडिया ने IIMUN के साथ मिलकर धरातल पर शतरंज को फैलाने और सिखाने का निर्णय लिया था। IIMUN के संस्थापक ऋषभ शाह, जो स्वयं भी एक शतरंज खिलाड़ी रह चुके हैं, उनके प्रस्ताव पर भारत में 50 से अधिक अलग-अलग शहरों में चेसबेस इंडिया और IIMUN ने मिलकर इस अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के उपलक्ष्य पर शतरंज के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ बच्चों में खेल के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास किया । पढे देवांश सिंह का यह लेख Photo: IIMUN
IIMUN और चेसबेस इंडिया की पहल
IIMUN का पूरा नाम (इंडियाज़ इंटरनेशनल मूवमेंट टू यूनाइट नेशंस) है। यह दुनिया का सबसे बड़ा युवा-संचालित गैर-लाभकारी संगठन रहा है, जिसकी स्थापना ऋषभ शाह ने 2011 में की थी। IIMUN के सामाजिक कार्यों में रुचि और ऋषभ शाह का शतरंज के प्रति प्रेम ही इस अनोखी मुहिम की शुरुआत का कारण बना। अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस जो की पुरे विश्व में 20 जुलाई को मनाया जाता हे उसी के अवसर पर देश के 52 शहरों में, उन्हीं शहरों के शतरंज खिलाड़ी और शतरंज प्रेमी IIMUN के साथ जुड़कर स्थानीय NGOs में गए और वंचित बच्चों को शतरंज के बारे में सिखाया। 1 जुलाई से शुरू हुई इस शानदार पहल के तहत अब तक लगभग 35 शहरों में यह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है, और आने वाले कुछ दिनों में शेष सभी 52 शहरों में भी यह मुहिम पूरी हो जाएगी। इस अभियान का लाभ जमीनी स्तर पर काफ़ी अधिक बच्चों को मिलेगा जो न केवल शतरंज सीखेंगे, बल्कि सोचने और समझने की एक नई दिशा भी पाएंगे।
IIMUN की स्थापना करने वाले ऋषभ शाह । Photo: Rishabh Shah
चेसबेस इंडिया दफ्तर में सागर शाह के साथ ऋषभ।
नीचे देखे पिछले कुछ दिनों से चल रही इस मुहीम की तस्वीरें
रांची में जाकी, अयान और हार्दिक ने शतरंज सिखाया
नासिक में 2 अलग-अलग जगहों पर उत्कर्ष,अक्षय कुलकर्णी ,कार्तिक भदांगे और धनश्री राठी ने बच्चो को शह और मात का खेल सिखाया
तिरुप्पुर में शतरंज खेलते हुए नन्हे बच्चे और सिखाते हुए मोहन कुमार
चेन्नई में गौथमराज और राजमहेंद्र हेगड़े ने बच्चो को शतरंज सिखाया
भोपाल में आयुष और देवांश ने बांटा शतरंज का ज्ञान।
इन चित्रों के अलावा भी अन्य शहरों में किस किस स्वयंसेवक और खिलाडी ने अपना ज्ञान साझा किया जानने के लिए पढ़े निचे दी हुई सूची ।
सिकंदराबाद – वम्शी मुक्केरा
सहारनपुर – अवि कपिल
भोपाल – आयुष और देवांश
हैदराबाद – संबुद्धो, साई रेड्डी, नागेश
जोधपुर – गोपाल अग्रवाल
नोएडा – हर्ष कुमार, अगम, आयुष और आशुतोष
विशाखापट्टनम – सरसा, निरंजन, संपत, यशस्विनी, सुमिरन और श्रीधरूथी
रायपुर – 2 अलग-अलग जगह निशांत मुंधड़ा द्वारा
दिल्ली – भावेश, अर्जित, सिद्धार्थ और तुषार
चित्तौड़गढ़ – कमलेश चौधरी
चेन्नई – गौतमराज और राजमहेन्द्र हेगड़े
अमृतसर – निखिल कुमार और दो भाई-बहन: 17 वर्षीय काव्या और 14 वर्षीय सिद्धम जैन
गोवा – संस्कृति और आयुष
श्रीनगर – मुहम्मद हमज़ा खान
कोयंबटूर – रम्या और प्रणव
अहमदाबाद – आईएम मनुष शाह, वंदन पटेल और शिखर मिश्रा
कोटा – जैश, अजीत और रोहित
इंदौर – अंशिका, कृष, ऋषु, आभास और राहुल
धनबाद – रौनक राज
नासिक (3 एनजीओ में 3 सत्र) – उत्कर्ष, अक्षय कुलकर्णी, कार्तिक भदांगे, धनश्री राठी
पटना – शिवम, राज और अंकित
संभाजीनगर – यश राजपूत और मयूर राजपूत
रांची – ज़ाकी, अयान और हार्दिक
अहमदनगर – चेतन कड
बेलगाम – आकाश, सक्षम और गिरीश
पुणे (2 एनजीओ में 2 सत्र) – पुष्पक, सार्थक, ओम और पार्थ
बेंगलुरु – उदित दिनेश
तिरुप्पुर – मोहन कुमार
नागपुर – ब्लिट्जक्रीग टीम
शिमला – IIMUN प्रशिक्षक
ग्वालियर – IIMUN प्रशिक्षक
नवी मुंबई – IIMUN प्रशिक्षक
सोनीपत – IIMUN प्रशिक्षक
लुधियाना – IIMUN प्रशिक्षक
कोलकाता – सतनिक, हर्षित, राहुल, स्वर्णव और कुमार गौरव द्वारा
'लेखक का अनुभव'
शतरंज सिखाने का प्रयास करता हुआ मैं : देवांश सिंह
इस शानदार मुहीम का एक छोटा सा भाग मैं भी हूँ , भोपाल में इस रविवार को संपन्न हुए इस शतरंज सीखाने और धरातल पर इसका प्रचार करने की IIMUN और चेसबेस इंडिया के पहल का जब मुझे पता चला तो मैं खुद को रोक नहीं पाया और मैंने अपना रविवार इन प्यारे बच्चो के साथ बिताने का निर्णय किआ, मेरे साथ मेरे ही एक और मित्र आयुष ने भी इस में भाग लिया।
जब मैं निर्धारित NGO पर पंहुचा तो मन में कुछ घबराहट सी तो थी, पर जैसे ही इन प्यारे बच्चो को देखा और इनके चेहरे की ख़ुशी और सिखने का जूनून देख कर मैं भी हैरान हो गया। इनमे से कुछ छोटे छोटे बच्चे जिन्होंने शतरंज को हाथ भी नहीं लगाया था, वह भी सिखने के लिए काफी उत्सुक दिख रहे थे, जैसे जैसे समय बीत-ता गया बच्चो की उत्सुकता भी बढ़ती गयी और मुझे भी उन्हें शतरंज सीखाने में और मज़ा आने लगा. इन बच्चो ने भी मुझे उस छोटे से अंतराल में जिंदगी की काफी बड़ी सीख दे दी और मुझे एक बात का तो एहसास हो गया की अगर मन में लगन और सकारात्मक भाव हो तो परिस्थिति कितनी भी विषम क्यों न हो हमे हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए। अंत में जब मैंने और आयुष ने साथ मिलकर बच्चो से उन्होंने आज क्या सीखा पूछा तो सभी के एक सुर में दिए हुए सही जवाबो ने अंतरात्मा को काफी खुश कर दिया और ऐसा लगा की फिर से मुझे इन्ही बच्चो के बिच आकर इन्हे और शतरंज सीखाना चाहिये।
आप सभी पाठकों से मेरा बस यही कहना हे की आप जब भी किसी वंचित बच्चे की किसी भी प्रकार से मदद कर सके तब जरूर करे , उनके साथ साथ आपको भी जो ख़ुशी महसूस होगी उसे मैं इस लेख में तो बयां नहीं कर सकता, मैं धन्यवाद करना चाहूंगा IIMUN और चेसबेस इंडिया का जिन्होंने इस शानदार पहल की शुरुवात की।